आजीवक सम्प्रदाय’ के संस्थापक मक्खलि गोशाल थे। मक्खलिपुत्त गोशाल पहले महावीर के शिष्य थे किंतु बाद में मतभेद हो जाने पर उन्होंने महावीर का साथ छोड़कर 'आजीवक' नामक स्वतंत्र संप्रदाय स्थापित किया। आजीवक संप्रदाय लगभग 1002 ई. तक बना रहा। इनका मत नियतिवाद (भाग्यवाद) कहा जाता है जिसके अनुसार संसार की प्रत्येक वस्तु भाग्य द्वारा पूर्व नियंत्रित एवं संचालित होती हैं