मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी की चोट ब्रिटिश साम्रात्य के ताबूत की एक-एक कील होगी” यह लाला लाजपत राय भारतीय ने कहा था। लाला लाजपत राय ने देशभर में स्वदेशी वस्तुएँ अपनाने के लिए अभियान चलाया। अंग्रेज़ों ने जब 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया तो लालाजी ने सुरेंद्रनाथ बनर्जी और विपिनचंद्र पाल जैसे आंदोलनकारियों से हाथ मिला लिया और अंग्रेज़ों के इस फैसले का जमकर विरोध किया।
Stay updated via social channels