गणेश सावरकर तथा अनन्त कान्हारे नासिक षड्यंत्र से सम्बन्धित थे। विनायक सावरकर और गणेश सावरकर ने 1899 में नासिक में एक क्रांतिकारी गुप्त समाज का मित्र मेला शुरू किया। यह उस समय महाराष्ट्र में कई ऐसे मेलों (क्रांतिकारी समाजों) में से एक था, जो सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने में विश्वास रखता था।