मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने वर्ष 1889 में अहमदिया आंदोलन शुरू किया था।
आंदोलन चरित्र में सुधारवादी था। इसके द्वारा इस्लाम में उदारवाद का परिचय देने की कोशिश की गई। यह ब्राह्मो समाज के मानवता के सार्वभौमिक धर्म की मान्यता के समान आधार पर ही था। इसने जिहाद का विरोध किया और भारतीय मुस्लिमों के बीच पश्चिमी शिक्षा के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया।
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