बालाजी बाजीराव (1740-61 ई.) को नाना साहेब के नाम से जाना जाता है। 1750 ई. के संगोला की सन्धि के अनुसार, मराठा छत्रपति केवल नाममात्र के राजा रह गए और महलों के महापौर बन गए। बालाजी बाजीराव के समय ही पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ, जिसमें मराठों की हार हुई। स्वतंत्रता संग्राम में नाना साहेब ने कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोहियों का नेतृत्व किया।