संथाल विद्रोह का नेतृत्व सिदो एवं कान्हू ने किया था। अंग्रेज समर्थित जमींदार पूरी तरह से संथालों का शोषण कर रहे थे और साथ ही कंपनी ने कृषि करों को इतना अधिक कर दिया था कि संथाल लोग इसे चुकाने में अक्षम थे। इसके अतिरिक्त बाहरी लोगों के आवागमन ने इन संथालों को अपनी ही भूमि पर सिमटने को विवश और निर्धन कर दिया था।