बुढ़िया का लड़का भगवाना साँप के डसने से बेहोश हो गया था। जैसे ही बुढ़िया को पता चला, वह उसका विष दूर करने के लिए गाँव के ओझा को बुला लाई। ओझा ने खूब झाड़-फेंक की। परंतु साँप का विष दूर न हो सका। बुढ़िया जो कर सकती थी, उसने किया। उसने ओझा को प्रसन्न करने के लिए नागराज की पूजा भी की। घर में जो आटा और अनाज था, वह भी ओझा के हवाले कर दिया। परंतु इतना करने पर भी उसका पुत्र बच न सका।