इस जल प्रलय में” नामक पाठ के अंतर्गत ‘मृत्यु का तरल दूत’ बाढ़ के उस पानी को कहा गया है, जो ऊँचे-नीचे स्थानों को डुबोता हुआ, लोगों को भयभीत करता हुआ मृत्यु का संदेश लेकर आता है। इसे ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहने का कारण यह है कि बाढ़ के कारण निचले स्थानों की फसलें, जानवर आदि सभी कुछ जलमग्न हो जाते हैं। कच्चे मकान धराशायी हो जाते हैं। न जाने कितने लोग बाढ़ में फंसकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। बाढ़ के कारण कई बार बिजली के खंभे गिर जाते हैं। इनमें प्रवाहित होने वाला करंट पानी में भी प्रवाहित होने से जल-जीव मृत्यु के शिकार बन जाते हैं।