कैलाश नगर के जिलाधिकारी केरल से आए तेज़-तर्रार जवान थे। उन्होंने चाय के दौरान लेखक को टी.पी.एस. (तरू पोटैटो सीड) की खेती की सफलता के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि आलू की परंपरागत खेती में जहाँ दो मीट्रिक टन बीज कल्लू कुम्हार की उनाकोटी की प्रतिहेक्टेयर जरूरत पड़ती है, वहीं टी.पी.एस. की मत्र 100 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। त्रिपुरा से टी.पी.एस. का निर्यात असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के अलावा वियतनाम, बांग्लादेश और मलेशिया को भी किया जा रहा है।