18वीं सदी के मध्य भाग से इंगलैंड में बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन आरंभ हुआ। ये कारखाने वाष्प इंजन से चलते थे। इस प्रक्रिया से वस्तुओं का उत्पादन काफी बढ़ा । उत्पादन के बढ़ते आकार के हिसाब से कच्चे माल की आवश्यकता हुई जिसके कारण इंगलैंड का ध्यान उत्तर अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर गया जहाँ उसे पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल तथा बना-बनाया एक बाजार भी मिला । इन्हीं दो चीजों पर औद्योगिक क्रांति सफल होता, इसलिए इंगलैंड ने इन प्रचुर संसाधनों पर स्थाई अधिकार का प्रयास आरंभ किया । इससे उपनिवेशवाद नामक एक नवीन शासन-प्रणाली विकसित हुई। 18वीं और प्रारंभिक 19वीं शताब्दी का विश्व बाजार स्वरूप का आधार था- कपड़ा उद्योग |