विश्व बाजार की हानि – विश्व बाजार ने एशिया और अफ्रीका में साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद के साथ एक नये युग को जन्म दिया, साथ-ही-साथ भारत जैसे पुराने उपनिवेशों का शोषण और तीव्र हुआ। उपनिवेशों की अपनी स्थानीय आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था जिसका आधार कृषि और लघु तथा कुटीर उद्योग था, नष्ट हो गई। व्यापार में वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता ने औपनिवेशिक लोगों की आजीविका को छीन लिया । औपनिवेशिक देशों में विश्व बाजार ने अकाल, भुखमरी, गरीबी जैसे मानवीय संकटों को भी जन्म दिया।