वेद + अंत = वेदांत, संधि के नियमानुसार इसमें दीर्घ स्वर संधि है।
दीर्घ स्वर संधि- जब दो सजातीय स्वर मिलकर दीर्घ स्वर के रूप में परिवर्तित होते है ऐसी संधि दीर्घ स्वर संधि कहलाती है।
उदाहरण-
- वेद + अंत = वेदांत
- शिव + आलय = शिवालय
- सेवा + अर्थ = सेवार्थ
संधि की परिभाषा दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार संधि कहलाता है।
संधि तीन प्रकार की होती है-
स्वर संधि |
दो स्वरों के मेल से बनी संधि स्वर संधि कहलाती है। स्वर संधि के पांच प्रकार है - दीर्घ संधि, गुणसंधि, वृद्धि संधि,यण संधि, अयादि संधि |
प्रोज्ज्वल, विद्यार्थी, भोजनालय, सतीश, महर्षि, सदैव, अन्वय, गायक आदि। |
व्यंजन संधि |
व्यंजन से व्यंजन अथवा स्वर के मेल से बनी संधि व्यंजन संधि कहलाती है। |
परिष्कार, उन्नयन, जगदीश, सज्जन,किंचित,सम्मान, संयोग,विषम आदि। |
विसर्ग संधि |
विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से बनी संधि विसर्ग संधि कहलाती है। |
निष्ठुर, सरोज, मनोरथ, दुष्कर्म, नीरव, निर्मल, नीरस आदि। |