बाल + उपयोगी = बालोपयोगी, जो बालकों के लिए उपयोगी हो:"श्याम बालोपयोगी शिक्षा की पुस्तक पढ़ रहा है।
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के साथ इ/ई आए तो ‘ए’ ; ऊ/ऊ आए तो ‘ओ’ और ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ बनता है। इस प्रकार से बनने वाले शब्दों को गुण संधि कहा जाता है।
अतः उपर्युक्त शब्द में गुण स्वर संधि संधि है।
स्वर संधि क्या है?
जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है यानी दो स्वरों के मिलने पर जो परिवर्तन होता है वह स्वर संधि कहलाता है। हिंदी भाषा में मूल रूप से 11 स्वर होते हैं, बाकी के अक्षर व्यंजन के होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उसमें से जो तीसरा स्वर बनता है वह स्वर संधि कहलाता है।
उदाहरण: विद्या+आलय -विद्यालय
स्वर संधि के प्रकार-
स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
दीर्घ संधि
दीर्घ संधि में दो स्वर्ण या सजातीय स्वरों के बीच संधि होकर उनके दीर्घ रूप हो जाते है। अर्थात दो स्वर्ण स्वर मिलकर दीर्घ हो जाते हैं। इस संधि के चार रूप होते है-
- जब अ,आ के साथ अ,आ हो तो “आ” बनता है
- जब इ,ई के साथ इ,ई हो तो “ई” बनता है
- जब उ,ऊ के साथ उ,ऊ हो तो “ऊ”बनता है
- ऋ के साथ ऋ/ ऋ हो तो “ऋ” बनता है
उदाहरण
- पुस्तक +आलय = पुस्तकालय
- विद्या+अर्थी = विद्यार्थी
- भानु+उदय = भानूदय
- महा + आत्मा = महात्मा
- दया + आनंद = दयानंद
- पितृ +ऋण = पितृण
- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
- परम + अर्थ = परमार्थ
- रत्न + आकर = रत्नाकर
- सीमा + अंत = सीमांत
गुण संधि
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के साथ इ/ई आए तो ‘ए’ ; ऊ/ऊ आए तो ‘ओ’ और ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ बनता है। इस प्रकार से बनने वाले शब्दों को गुण संधि कहा जाता है।
- जब अ,आ के साथ इ, ई हो तो “ए” बनता है
- जब अ,आ के साथ उ,ऊ हो तो “ओ” बनता है
- जब अ,आ के साथ ऋ हो तो” अर” बनता है
उदाहरण
- नर+ इंद्र = नरेंद्र
- हेमा + इन्द्र = हेमेन्द्र
- नर + ईश = नरेश
- महा + ईश्वर = महैश्वर्य
- ज्ञान+उपदेश = ज्ञानोपदेश
- जल + ऊर्मि = जलोर्मि
- महा + उदय = महोदय
- दया + ऊर्मि = दयोर्मि
- देव+ऋषि = देवर्षि
- महा + ऋषि = महर्षि
वृद्धि संधि
यदि ‘अ’/ ‘आ’ के साथ ए/ ऐ आये तो ‘ऐ’ और ओ/ औ आये तो औ बन जाता है। इस प्रकार बनने वाले शब्दों को वृद्धि संधि कहा जाता है।
- जब अ,आ के साथ ए,ऐ हो तो “ऐ” बनता है।
- जब अ,आ के साथ ओ,औ हो तो ” औ” बनता है।
उदाहरण
- मत+एकता = मतैकता
- सदा+एव = सदैव
- महा+ओज = महौज
- एक + एक = एकैक
- वन + ओषधि = वनौषधि
- महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
- महा + ओजस्वी = महौजस्वी
- परम + औषध = परमौषध
- तत + एव = ततैव
- महा+औदार्य = महौदार्य
यण संधि
यदि इ/ई, उ/ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ/ई का ‘य’ उ/ऊ का ‘व’ और ऋ का ‘र’ हो जाता है।
- जब इ,ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ” य” बन जाता है
- जब उ,ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो” व” बन जाता है
- जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो” र ” बन जाता है
उदाहरण
- इती+ आदि = इत्यादि
- अनु+अय = अनवय
- सु+ आगत = स्वागत
- अनु + एषण = अन्वेषण
- अधि + अयन = अध्ययन
- अनु + इत = अन्वित
- प्रति + एक = प्रत्येक
- अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
- अति + अंत = अत्यंत
- प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
अयादि संधि
यदि ए, ऐ, ओ और औ के बाद भिन्न स्वर आये तो ‘ए’ का अय ‘ऐ’ का आय, ‘ओ’ का अव और ‘औ’ का आव हो जाता है। अय, आय, अव और आव के य और व आगे वाले भिन्न स्वर से मिल जाते है |
- जब ए,ऐ,ओ,औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ” ए- अय “, ” ऐ- आय”, “ओ- अव ” , “औ- आव” मैं हो जाता है
- य, वह से पहले व्यंजन पर अ,आ की मात्रा हो तो वह अयादि संधि हो सकती है परंतु अगर कोई विच्छेद ना निकलता हो तो के + बाद आने वाले भाग को वैसा ही लिखना होगा अयादि संधि कहलाता है।
उदाहरण
- ने+अन = नयन
- नौ+ इक = नाविक
- भो+अन = भवन
- नौ + इक = नाविक
- पो + इत्र = पवित्र
- चे + अन = चयन
- पो + अन = पवन
- शो+ अ = शव
- विधै+ अक = विधायक
- विने + अ = विनय
FAQs
चित्रोपम का संधि विच्छेद क्या है ?
चित्रोपम का संधि विच्छेद है चित्र + उपम।
संधि कितने प्रकार की होती है?
संधि के तीन प्रकार होते हैं
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
स्वर संधि के कितने भेद होते है?
स्वर संधि के पांच प्रकार होते हैं
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. गुण संधि
5. अयादि संधि
मनोनुकूल का संधि विच्छेद क्या है?
मनोनुकूल का संधि विच्छेद है मनः + अनुकूल