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YASH SONI in राजनीति विज्ञान
दल-बदल विरोधी अधिनियम (Anti Defection Law) के अन्तर्गत भारतीय संविधान में किसी सदस्य की अयोगयता अथवा योग्यता पर निर्णय करने का अधिकार किसको प्राप्त है

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KESHAV

पीठासीन अधिकारी के पास

दसवीं अनुसूची को 1985 में संविधान में शामिल किया गया था। यह उस प्रक्रिया को निर्धारित करती है जिसके द्वारा विधायकों को सदन के किसी अन्य सदस्य द्वारा एक याचिका के आधार पर एक विधायिका के पीठासीन अधिकारी द्वारा दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराया जा सकता है। एक विधायक को दलबदल माना जाता है यदि वह या तो  स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है या एक वोट पर पार्टी नेतृत्व के निर्देशों की अवज्ञा करता है।  इसका तात्पर्य यह है कि एक विधायक किसी भी मुद्दे पर पार्टी के व्हिप की अवहेलना (निष्क्रिय करना या मतदान करना) सदन की अपनी सदस्यता खो सकता है। यह कानून संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों पर लागू होता है।

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