कुल सदस्यों में से एक-तिहाई (1/3) सदस्य प्रति दो वर्ष में सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
भारतीय संविधान में राज्यों को राज्य की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या एवं अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए राज्य विधानमंडल के अंतर्गत उच्च सदन के रूप में विधानपरिषद (वैकल्पिक) की स्थापना करने की अनुमति दी गई है। जहाँ विधानपरिषद के पक्षकार इसे विधानसभा की कार्यवाही और शासक दल की निरंकुशता पर नियंत्रण रखने के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हैं, वहीं कई बार राज्य विधानमंडल के इस सदन को समय और पैसों के दुरुपयोग की वजह बता कर इसकी भूमिका और आवश्यकता पर प्रश्न उठते रहते हैं। राज्य विधानसभा की कार्यप्रणाली कई मायनों में राज्यसभा से मेल खाती है तथा इसके सदस्यों का कार्यकाल भी राज्यसभा सदस्यों की तरह ही 6 वर्षों का होता है।