मौलिक अधिकारों की रक्षा का उत्तरदायित्व भारत के सर्वोच्च न्यायालय का है
मूल अधिकारों से तात्पर्य राजनीतिक लोकतंत्र के आदर्शों की उन्नति से है। ये अधिकार देश में व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही राज्य के कठोर नियमों के विरुद्ध नागरिकों को स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। ये विधानमंडल द्वारा पारित कानून के क्रियान्वयन पर तानाशाही को मर्यादित करते हैं