कूका विद्रोह सन १८७१-७२ में पंजाब के कूका लोगों (नामधारी सिखों) द्वारा किया गया एक सशस्त्र विद्रोह था जो मूलतः अंग्रेजों द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने के विरोध में किया गया था। बालक सिंह तथा उनके अनुयायी गुरु रामसिंह जी ने इसका नेतृत्व किया था।इस आंदोलन की आरम्भिक प्रवृत्ति धार्मिक थी, परंतु शीघ्र ही यह एक राजनीतिक आंदोलन में बदल गया। इसका प्रमुख उद्देश्य सिख धर्म की बुराइयों को दूर करना था। हजारा को विद्रोह का केंद्र स्थल बनाते हुए जवाहरमल ने बालक सिंह एवं रामसिंह के सहयोग से विद्रोह किया था। भगत जवाहरमल को सियान साहब के नाम से भी जाना जाता था। कूके वीरों की संख्या सात लाख से ऊपर थी। लेकिल अधूरी तैयारी में ही विद्रोह भड़क उठा और इसी कारण वह दबा दिया गया