सितार से
7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में पैदा हुए पंडित रविशंकर ने नृत्य के जरिए कला जगत में प्रवेश किया था.
लेकिन अठारह साल की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू कर दिया. सितार के जादू से बँधे पंडित रविशंकर उस्ताद अलाउद्दीन खान से दीक्षा लेने मैहर पहुंचे और खुद को उनकी सेवा में समर्पित कर दिया.