मध्यकालीन भारतीय शासक शेरशाह ने अपने अधीनस्थ किसानों से सम्बन्ध स्थापित करने के लिए पट्टा तथा कबूलियत की व्यवस्था प्रारम्भ की। 'कबूलियत' (करार-विलेख) में भूमि पर किराएदार के अधिकार निहित होते हैं। अभी तक शेरशाह अपने आप को मुगल सम्राटों का प्रतिनिधि ही बताता था पर उनकी चाहत अब अपना साम्राज्य स्थापित करने की थी।
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