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Pratham Singh in Science
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पराबैंगनी प्रकाश से क्या तात्पर्य है?

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Imtiyaz
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पराबैंगनी किरण (पराबैंगनी लिखीं जाती हैं) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण हैं, जिनकी तरंग दैर्घ्य प्रत्यक्ष प्रकाश से छोटी हो एवं कोमल एक्स किरण से अधिक हो। इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य बैंगनी वर्ण से ऊपर होती हैं।

पराबैंगनी प्रकाश (Ultraviolet Light) विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक हिस्सा है जिसकी तरंग लंबाई वैक्यूम विकिरण और दृश्य प्रकाश के बीच होती है। यह तरंग विकिरण की एक विशेष श्रेणी होती है जिसकी तरंग लंबाई कुछ विशिष्ट सीमाओं के बीच होती है, और यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पराबैंगनी प्रकाश के कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. तरंग लंबाई: पराबैंगनी प्रकाश की तरंग लंबाई वैक्यूम विकिरण और दृश्य प्रकाश के बीच की तरंग लंबाई के कुछ सीमाओं के बीच होती है, और इसे नैनोमीटर (नैनोमीटर) में मापा जाता है।

  2. प्राधिकृति: पराबैंगनी प्रकाश का एक महत्वपूर्ण गुणनीय तत्व है कि यह प्राधिकृति की क्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे कुछ विशेष उपयोगों के लिए उपयोगी होता है, जैसे कि बैक्टीरिया और जीवाणुओं के खिलाने के उपाय।

  3. उपयोग: पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे कि आयुर्वेद, डेंटिस्ट्री, विज्ञान, रफ़ू तथा जीविका विज्ञान, और विशेष रूप से उद्योगों में जहाँ यह विशेष रूप से उद्योगों में जहाँ यह तरंग विकिरण के रूप में उपयोग होता है जो चीर करने, खच्चक करने, या अन्य कार्यों के लिए उपयोगी होता है।

  4. धारक द्रव्य: पराबैंगनी प्रकाश के कुछ धारक द्रव्य भी होते हैं, जैसे कि उपासी यौगिक और धातु जो इसे अवशोषण कर सकते हैं और इसका प्रभाव कम कर सकते हैं।

पराबैंगनी प्रकाश का अध्ययन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और चिकित्सा में महत्वपूर्ण है, और यह विभिन्न गुणों की वजह से अन्य विकिरण से अलग होता है।

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