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Anik in लेखक और रचना
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हार की जीत नामक कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता कौन हैं? हार की जीत के लेखक/कहानीकार का नाम क्या है? हार की जीत किस विधा की रचना है? Haar Kee Jeet namak Kahani ke Lekhak/Kahanikar/Rachayitha kaun hain? Haar Kee Jeet kis vidha ki rachna hai?

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Aniket
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हार की जीत के लेखक/कहानीकार/रचयिता

हार की जीत (Haar Kee Jeet) के लेखक/कहानीकार/रचयिता (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha) "सुदर्शन" (Sudarshan) हैं।

Haar Kee Jeet (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha)

नीचे दी गई तालिका में हार की जीत के लेखक/कहानीकार/रचयिता को लेखक/कहानीकार तथा कहानी के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। हार की जीत के लेखक/कहानीकार/रचयिता की सूची निम्न है:-

रचना/कहानी लेखक/कहानीकार/रचयिता
हार की जीत सुदर्शन
Haar Kee Jeet Sudarshan

हार की जीत किस विधा की रचना है?

हार की जीत (Haar Kee Jeet) की विधा का प्रकार "कहानी" (Kahani) है।

सुदर्शन (1895-1967) प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार थे।इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। ये आदर्शोन्मुख यथार्थवादी थे। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे थे। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है। अपनी प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में इन्होंने समस्यायों का आदशर्वादी समाधान प्रस्तुत किया है। चौधरी छोटूराम जी ने कहानीकार सुदर्शन जी को जाट गजट का सपादक बनाया था। केवल इसलिये कि वह पक्के आर्यसमाजी थे और आर्य समाजी समाज सुधार होते हैं। एक गोरे पादरी के साथ टक्कर लेने से गोरा शाही सुदर्शन जी से चिढ़ गई। चौ. छोटूराम, चौ. लालचन्द से आर्यसमाजी सपादक को हटाने का दबाव बनाया। चौ. छोटूराम अड़ गये। सरकार की यह बात नहीं मानी। यह घटना प्रथम विश्व युद्ध के दिनों की है। सुदर्शन जी 1916-1917 में रोहतक में कार्यरत थे।

सुदर्शन की भाषा सरल, स्वाभाविक, प्रभावोत्पादक और मुहावरेदार है। इनका असली नाम बदरीनाथ है। इनका जन्म सियालकोट में 1895 में हुआ था। प्रेमचन्द के समान वह भी ऊर्दू से हिन्दी में आये थे।

लाहौर की उर्दू पत्रिका हज़ार दास्ताँ में उनकी अनेकों कहानियां छपीं। उनकी पुस्तकें मुम्बई के हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। उन्हें गद्य और पद्य दोनों ही में महारत थी। "हार की जीत" पंडित जी की पहली कहानी है और १९२० में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी।

मुख्य धारा के साहित्य-सृजन के अतिरिक्त उन्होंने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे हैं। सोहराब मोदी की सिकंदर (१९४१) सहित अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन १९३५ में उन्होंने "कुंवारी या विधवा" फिल्म का निर्देशन भी किया। वे १९५० में बने फिल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। वे १९४५ में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। उनकी रचनाओं में तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। फिल्म धूप-छाँव (१९३५) के प्रसिद्ध गीत तेरी गठरी में लागा चोर, बाबा मन की आँखें खोल आदि उन्ही के लिखे हुए हैं। सुदर्शन जी महान लेखक थे । वे बुद्धिमान थे।

सुदर्शन को गद्य और पद्य दोनों में महारत हासिल थी। उनकी रचनाओं में निम्न कृतियाँ उल्लेखनीय हैं-

  1. हार की जीत
  2. सच का सौदा
  3. अठन्नी का चोर
  4. साईकिल की सवारी
  5. तीर्थ-यात्रा
  6. पत्थरों का सौदागर
  7. पृथ्वी-वल्लभ

आशा है कि आप "हार की जीत नामक कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको हार की जीत के लेखक/कहानीकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो तो उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।


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मैंने तो पढ़ा था कि इस कहानी के रचयिता मुंशी प्रेमचंद जी है।

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