कमल 1. संज्ञा पुं॰ [सं॰]
1. पानी में होनेवाला एक पौधा । कमल प्रायः संसार के सभी भागों में पाया जाता है । यह झीलों, तालाबों और गड़हों तक में होता है । यह पेड़ बीज से जमता है । रंग और आकार भेद से इसकी बहुत सी जातियाँ होती हैं, पर अधिकतर लाल, सफेद और नीले रंग के कमल देखे गए हैं । कहीं कहीं पीला कमल भी मिलता है । इसके फूलों के अंकुर या उसके पूर्वरूप प्रारभिक दशा में पानी से बाहर आने से पहले नतम और सफेद रंग के होते हैं और पौनार कहलाते हैं । पौनार खाने में मिठा होता हैं । एक प्रकार का लाल कमल होता है जिसमें गंध नहीं होती और जिसके बीज से तेल निकलता है।
रक्त कमल भारत के प्रायः सभी प्रांतों में मिलता है । इससे संस्कृत में कोफनद, रक्तोत्पल हल्लक इत्यादि कहते हैं।
श्वेत कमल काशी के आसपास और अन्य स्थानों में होता है । इसे शतपत्र, महापद्म, नल, सीतांबुज इत्यादि कहते है।
नील कमल विशेषकर कश्मीर के उत्तर और कहीं कहीं चीन में होता है ।
पीत कमल अमेरिका, साइबेरिया, उत्तर जर्मनी इत्यादि देशों में मिलता है ।
- यौ॰ - कमलगट्टा । कमलज । कमलनाल । कमलनयन ।
- पर्या॰ - अरविंद । उत्पल । सहस्रपत्र । शतपत्र । कुशेशय । पंकज पंकेरुह । तामरस । सरस । सरसीरुह । विषप्रसून । राजीव । पुष्कर । पंकज । अंभोरुह । अंभोज । अंबुज । सरसिज । श्रीवास । श्रीपूर्ण । इंदिरालय । जलजात । कोकनंद । बनज इत्यादि ।
- विशेषजलवाचक शब्दों में ज', 'जात' आदि लगने से कमलवाची शब्द बनते हैं, जैसे, वरिज, नीरज, कंज आदि ।
2. कमल के आकार के एक पांसपिंड जो पेट में दाहिनी ओर होता है । क्लोमा । मुहा॰—कमल खिलना = चित्त आनंदित होना । जैसे, —आज तुम्हारा कमल खीला है ।
3. जल । पानी । उ॰- हृदयकमल नैनकमल, देखिकै कमलनैन, होहुँगी कमलनैन और हौं कहा कहौं ।—केशव (शब्द) ।
4. ताँबा ।
5. [स्त्री॰ कमली] एक प्रकार का मृग ।
6. ध्रुवताल का दूसरा भेद जिसमें गुरु, लघु, द्रुत, द्रुतविराम , लघु और गुरु, यथाक्रम होते हैं । यथा—'धिधिकट धाकिट धिमि- धरि, थरकु गिड़ि गिड़ि, दिदिगन थों।
7. सारस ।
8. आँख का कोया । डेला ।
9. कमल के आकार का पहल काटकर बना हुआ रत्नवंड ।
10. योनि के भीतर कमलाकार अँगूठे के अगले भाग बराबर एक गाँठ जिसके ऊपर एक छेज होता है । यह गर्भाशय का मुख या अग्रभाग है । फुल । धरन । टणा । मुहा॰ - कमल उलट जाना = बच्चेद नीया गर्भाशय के मुँह का अपवर्तित हो जाना जिसमें स्त्रीयाँ वंध्या हो जाती हैं ।
11. दीपक राग का दूसरा पुत्र । इसकी भार्या का नाम जयजयवंती है ।
12. मात्रिक छंदो में छह मात्राओं का एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में गुरु लघु गुरु लघु (ऽ। ऽ।) होता है । जैसे, दीनबंधु । शील सिंधु ।
13. छप्पय के ७१ भेदों में से एक । इसमें ४३ गुरु, ६६ लघु, १०९ वर्ण और १५२ मात्राएँ होती हैं ।
14. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसका प्रत्येक चरण एक नगण का होता है । जैसे,—न वन, भजन, कमल, नयन ।
15. काँच का एक प्रकार का गिलास जिसमें मोमबत्ती जलाई जाती है ।
16. एक प्रकार का पित्त रोग जिसमें आँखें पीली पड़ जाती हैं और पेशाब भी पीला आता है । पीलू । कमला । काँवर ।
17. मूत्राशय । मसाना । मुतवर ।
कमल 2. - संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
1. लक्ष्मी । उ॰ - होती हैं ज्यों चाह दीनजन को कमला की । थी चिंतागंभीर चित्त में शकुंतला की । शकु॰- पृ॰ १० ।
2. धन । ऐश्वर्य ।
3. एक प्रकार की बड़ी नारंगी । संतरा ।
4. एक नदी का नाम जो तिरहुत में है । दरभंगा नगर इसी के किनारे पर है ।
5. एक वर्णवृत्त का नाम । दे॰ 'रतिपद' ।