इसे s या m, से प्रदर्शित करते हैं। इस संख्या की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि परमाणु में इलेक्ट्रॉन न केवल नाभिक के चारों ओर घूमता है बल्कि अपने अक्ष पर घूर्णन (चक्रण) करता है। यह संख्या इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती है। इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा दक्षिणावर्त (clockwise) या वामावर्त (anticlockwise) हो सकती है। m के किसी मान के लिए : के केवल दो मान होते हैं- या इन दोनों मानों को विपरीत दिशाओं को दर्शाते हुए तीरों (क्रमश: ↑ और ↓) द्वारा प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का उसके चक्रण के कारण कोणीय संवेग होता है जिसका परिमाण निम्न व्यंजक से प्राप्त होता है। चक्रण कोणीय संवेग जहाँ इस क्वाण्टम संख्या से पदार्थों के चुम्बकीय गुणों के विषय में भी जानकारी मिलती है। घूमता हुआ इलेक्ट्रॉन छोटे चुम्बक के समान व्यवहार करता है। यदि किसी कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते हैं तो वे एक-दूसरे के प्रभाव को निरस्त कर देते हैं। यदि किसी परमाणु के सभी कक्षक पूर्णतः भरे होते हैं तो सभी इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय प्रभाव को नष्ट कर देते हैं और पदार्थ प्रतिचुम्बकीय (diamagnetic) होता है। ऐसा पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा प्रतिकर्षित होता है। दूसरी ओर यदि पदार्थ में कुछ अर्द्ध-पूर्ण कक्षक होते हैं तो इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय प्रभाव को पूर्णतः नष्ट नहीं कर पाते। ऐसा पदार्थ अनुचुम्बकीय (paramagnetic) होता है। यह पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की तरफ आकर्षित होता हैं।
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