प्रतिऑक्सीकारक
वे रासायनिक पदार्थ जो वसा तथा वसा युक्त पदार्थों से मिलकर उनके ऑक्सीकरण को रोकते हैं और उनके जीवनकाल को बढ़ाते हैं, प्रतिऑक्सीकारक कहलाते हैं। ये ऑक्सीजन के प्रति अत्यन्त क्रियाशील होते हैं। प्रतिस्थापी फीनॉलिक (phenolic) यौगिकों का उपयोग । प्रतिऑक्सीकारक के रूप में होता है। ब्यूटिल हाइड्रॉक्सी ऐनिसोल (BHA) (butyl hydroxy anisol) एक अविषैला (non-toxic) प्रतिऑक्सीकारक है जिसका व्यापारिक नाम सस्टेन (sustane) है। यह मक्खन के लिए अच्छा ऑक्सीकारक है। इसके अतिरिक्त ब्यूटिल हाइड्रॉक्सी टॉलूईन (BHT) 2, 3 – डाइतृतीयक ब्यूटिल p-ऐनिसॉल (2, 3 – ditertiary butyl p anisol) (BHA) तथा प्रोपिल-3, 4, 5 -ट्राइहाइड्रॉक्सी बेन्जोएट (propyl-3, 4, 5 -trihydroxy benzoate) जिसे प्रोपिल गैलेट (propyl gallate) या (PG) भी कहते हैं, आदि प्रतिऑक्सीकारक हैं। ये बहुत कम सान्द्रता (< 0.01%) पर प्रभावी होते हैं। ये भोज्य पदार्थ में उपस्थित आवश्यक वसीय अम्ल (fatty acids) तथा विटामिन (vitamins) के पौष्टिक मान (nutritional value) को बराबर रखते हैं।
इसके अतिरिक्त, विटामिन E, सल्फर डाइऑक्साइड तथा ऐस्कॉर्बिक अम्ल विटामिन C को भी प्रतिऑक्सीकारक के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। इनका उपयोग सामान्य रूप में शराब व बीयर, मीठे तरल पदार्थ, सब्जी तथा कटे, छिले शुष्क फलों के लिए प्रतिऑक्सीकारकों के रूप में किया जाता है। ऐस्कॉर्बिक अम्ल एन्जाइमकृत फेनिल यौगिक के ऑक्सीकरण से उत्पन्न भूरेपन को रोकता है।