फैरल का नियम (Ferrel’s Law)
पवन-संचरण के इस नियम का प्रतिपादन अमेरिकी विद्वान् | फैरल ने किया था। फैरल के अनुसार, “पृथ्वी पर प्रत्येक स्वतन्त्र पिण्ड अथवा तरल पदार्थ, जो गतिमान है, पृथ्वी की परिभ्रमण गति के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में अपने दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने बायीं ओर मुड़ जाता है। इसी नियम के अनुसार ही सनातनी हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के अनुकूल तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के प्रतिकूल प्रवाहित होती हैं।