धूल-कण (Dust Particles)
सूर्य के प्रकाश में देखने से मालूम होता है कि वायुमण्डल में धूल के ठोस तथा सूक्ष्म कण स्वतन्त्रतापूर्वक विचरण करते रहते हैं। ये धूल-कण भूतल से अधिक ऊँचाई पर नहीं जा पाते। भूपृष्ठ की मिट्टी के अतिरिक्त ये धूल-कण धुआँ, ज्वालामुखी की धूल तथा समुद्री लवण से भी उत्पन्न होते हैं। ये धूल-कण जलवाष्प को अपने में सोख लेते हैं। वर्षा कराने में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। वर्षा के समय इन धूल-कणों पर जमी जल की बूंदें चमकते मोती के समान दिखलाई पड़ती हैं। सूर्य की किरणों का वायुमण्डल में बिखराव इन्हीं | धूल-कणों के द्वारा होता है। इन्हीं के कारण आकाश में विभिन्न रंग दिखाई पड़ते हैं।