बिस्मिल्ला खाँ के संगीत-जीवन को निम्नलिखित लोगों ने समृद्ध कियारसूलनबाई, बतूलनबाई, मामूजान अलीबख्श खाँ, नाना, कुलसुम हलवाइन, अभिनेत्री सुलोचना।
रसूलनबाई और बतूलनबाई की गायिकी ने उन्हें संगीत की ओर खींचा। उनके द्वारा गाई गई ठुमरी, टप्पे और दादरा सुनकर उनके मन में संगीत की ललक जागी। वे उनकी प्रारंभिक प्रेरिकाएँ थीं। बाद में वे अपने नाना को मधुर स्वर में शहनाई बजाते देखते थे तो उनकी शहनाई को खोजा करते थे। मामूजान अलीबख्श जब शहनाई बजाते-बजाते सम पर आते थे तो बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर जमीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
बिस्मिल्ला खाँ कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे। अभिनेत्री सुलोचना की फिल्मों ने भी उन्हें समृद्ध किया।