परिभाषा
यह चार चरण वाला मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं तथा । व 13 मात्राओं पर ‘यति’ होती है। इसके चारों चरणों की ग्यारहवीं मात्रा लघु रहने पर, इसे काव्यछन्द भी कहते हैं;
उदाहरण
हे दबा यह नियम, सृष्टि में सदा अटल है।
रह सकता है वही, सुरक्षित जिसमें बल है।।
निर्बल का है नहीं, जगत् में कहीं ठिकाना।
रक्षा साधक उसे, प्राप्त हो चाहे नाना।।
ऽ ऽऽ ।। ।।। ।ऽ ऽ ।ऽ ।।। ऽ = 24 मात्राएँ